Thursday, March 18, 2010

`` पल ``

" पल की जिँदगी "
पल ही तो है मेरी जिँदगी ।
पल से ही शुरु जिँदगी ।
पल मेँ ही खत्म जिँदगी ।


पल ही मेरा आशियाना ।
पल ही मेरा हर तराना ।
पल मेँ ही याद आना ।
पल मेँ ही भूल जाना ।


पल ही तो है , मेरी जिँदगी ।
पल ही तो है , पागल बनाता ।
पल ही तो है , होश दिलाता ।

पल का एहसास होता है जिसको ,
करती है दुनिया सलाम उसको ।


पल का रखा है खयाल जिसने ,
पल मेँ दुनिया का खयाल जिसने ,
पल मेँ दुनिया को पाया उसने ।
पल ही तो है मेरी जिँदगी ।

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